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22 January 2013

खटरागी हूँ ....

संगीत विधा का
कोई ज्ञाता ही
बता सकता है
रागों के बारे में
फिर भी एक राग है
जो मुझ को आता है
वह राग
खटराग कहलाता है।

खट-खट-खट- के स्वर
खट-खट-खट- के उतार चढ़ाव
खट-खट ध्वनि
कभी धीमी
कभी तेज़
खट-खट-खट- की संगत
खटकती रहती है
हर पल
मेरे कमरे में।

मन की डोर से बंधी
नर्तन करती
कठपुतली जैसी उँगलियाँ
मानो छेड़ रही हों तान
अभिव्यक्ति के
हारमोनियम पर।

पर यह
बहुत ही साधारण यंत्र है
मेरे कंप्यूटर का तंत्र है
प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
'की बोर्ड' का
अनुरागी हो जाने को
मेरी तरह
खटरागी कहलाने को।  

©यशवन्त माथुर©

9 comments:

  1. ५० सालों में लोग कलम चलाना भूल जायेंगे. सबको खटरागी ही बनना होगा. सुन्दर बात कही है.

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (23-01-13) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |
    सूचनार्थ |

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  3. आज कल हम सभी खटरागी बन गए हैं ... बहुत बढ़िया ॥

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  4. बहुत ही साधारण यंत्र है
    मेरे कंप्यूटर का तंत्र है
    प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
    खटरागी कहलाने को। :D
    God Bless U .... :))
    main bhi खटरागी hi hoon :P

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  5. बढीया हैं ....
    आज तो अधिकतर लोगो का यही हाल है ...
    :-)

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  6. आज कल हम सभी खट खट रागी होगए ..और कलम भूल गए हैं..बहुत सही..

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  7. षटरागी तो ठीक है मगर संगीत के सुर तो सात होते हैं!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  8. प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
    'की बोर्ड' का
    अनुरागी हो जाने को
    मेरी तरह
    खटरागी कहलाने को..... बहुत सही लि‍खा आपने

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