ओ!पल पल बहती
जीवनदायिनी हवा की लहरों
कुछ ठहर कर
आज मुझ से कुछ बातें कर लो
तुम छू कर मुझे निकल जाती हो
अनंत की ओर
मेरे जैसे और भी बहुतों को
देती हो एहसास जीवन का
तो क्यूँ न
दो पल का विराम ले कर
कुछ अपनी कह दो
और कुछ मेरी सुन लो
पर मैं जानता हूँ
तुम्हारे ठहरने मात्र से ही
कितने ही ठहर जायेंगे
मैं चाहता हूँ
और सिर्फ चाहता ही रह जाऊँगा
और तुम बहती रहोगी
अनवरत
शायद रुकना तुमको आता ही नहीं
चलते वक़्त की तरह.
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मैं चाहता हूँ
ReplyDeleteऔर सिर्फ चाहता ही रह जाऊँगा
और तुम बहती रहोगी
अनवरत
शायद रुकना तुमको आता ही नहीं
चलते वक़्त की तरह.
Bahut khoob !
दायित्व बोध की कविता ..सुंदर
ReplyDeleteसचमुच कहाँ ठहरती है...जीवनदायिनी हवा.... सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletethahar bhi jao... kuch kah lo , main bhi ji lun un baaton mein
ReplyDeletehavaon se rukne ki bat na na , sundar rachna , badhai
ReplyDeleteमैं चाहता हूँ
ReplyDeleteऔर सिर्फ चाहता ही रह जाऊँगा
और तुम बहती रहोगी
अनवरत
शायद रुकना तुमको आता ही नहीं
चलते वक़्त की तरह.
हरेक चाह कहाँ पूरी होती है..हवा की नियति है निरंतर बहना..बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति.
अच्छी अभिव्यक्ति |बधाई |
ReplyDeleteमकर संक्रांति पर शुभ कामनाएं |
आशा
शायद रुकना तुमको आता ही नहीं
ReplyDeleteचलते वक़्त की तरह
khubsurat yehsas
बेहद खूबसूरत!
ReplyDeleteबस बहुत सुंदर....बहुत खूब...इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकती.....
ReplyDeleteआज मुझ से कुछ बातें कर लो
ReplyDeleteतुम छू कर मुझे निकल जाती हो
अनंत की ओर
मेरे जैसे और भी बहुतों को
देती हो एहसास जीवन का
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
हवा की फितरत को सही पहचाना है। हार्दिक बधाई। इसीलिए जीवन भी चलने का नाम माना जाता है।
ReplyDelete---------
डा0 अरविंद मिश्र: एक व्यक्ति, एक आंदोलन।
सांपों को दुध पिलाना पुण्य का काम है?
अदभुत वर्णन ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ......
वाह भई यशवन्त जी बल्ले बल्ले
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति....!!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना.....बधाई...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना......बधाई.
ReplyDeletebahut khoobsoorat.........
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteइन पंक्तियों को पसंद करने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDelete