"मिले सुर मेरा तुम्हारा" इस गीत को बचपन में दूरदर्शन पर अक्सर देखा करता था.अभी इसका नया वर्ज़न भी आया है.जिसके बारे में फेसबुक पर प्रमोद जोशी जी से मालूम चला.निजी रूप से मुझे पुराना वाला ही ज्यादा अच्छा लगता है .आप भी देखिये और अपनी राय दीजिये.
पहले देखिये पुराना ओरिजनल वीडियो जो दूरदर्शन पर कभी आया करता था-
और अब देखिये ये नया वाला-
मेरे अपने विचार से नया वाला वीडियो बदलते भारत की तस्वीर प्रस्तुत ज़रूर करता है पर पुराने वीडियो को सुनने में मिठास ज्यादा मालूम पड़ती है.
आपका क्या कहना है?
प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©
इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।
16 January 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
दिन भर घर के बाहर की सड़क पर खूब कोलाहल रहता है और सांझ ढलते सड़क के दोनों किनारों पर लग जाता है मेला सज जाती हैं दुकानें चाट के ठेलों...
-
इधर कुछ दिनों से पापा ने सालों से सहेजी अखबारी कतरनों को फिर से देखना शुरू किया है। इन कतरनों में महत्त्वपूर्ण आलेख और चित्र तो हैं ही साथ ह...
-
जीवन के अनवरत चलने के क्रम में अक्सर मील के पत्थर आते जाते हैं हम गुजरते जाते हैं समय के साथ कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हैं कभी शून्य से...
-
खबर वह होती है जो निष्पक्ष तरीके से सबके सामने आए और पत्रकारिता वह है जो जिसमें सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस हो। जिसमें कुछ भी छुपा...
-
बोल निराशा के, कभी तो मुस्कुराएंगे। जो बीत चुके दिन, कभी तो लौट के आएंगे। चलता रहेगा समय का पहिया, होगी रात तो दिन भी होगा। माना कि ...
-
इसके पहले कैसा था इसके पहले ऐसा था वैसा था, जैसा था थोड़ा था लेकिन पैसा था। इसके पहले थे अच्छे दिन कटते नहीं थे यूँ गिन-गिन। इसके प...
-
कुछ लोग जो उड़ रहे हैं आज समय की हवा में शायद नहीं जानते कि हवा के ये तेज़ झोंके वेग कम होने पर जब ला पटकते हैं धरती पर तब कोई नहीं रह प...
-
हम सिर्फ सोचते रह जाते हैं ख्यालों के बादल आ कर चले जाते हैं Shot by Samsung M30s-Copyright-Yashwant Mathur© मैं चाहता हूँ...
-
फ्यू चर ग्रुप की बदहाली की खबरें काफी दिन से सुनने में आ रही हैं और आज एक और खबर सुनने में आ रही है कि आई पी एल 2020 की एसोसिएट -स्पॉन्स...
-
किसान! खून-पसीना एक कर दाना-दाना उगाता है हमारी रसोई तक आकर जो भोजन बन पाता है इसीलिए कभी ग्राम देवता कभी अन्नदाता कहलाता है लेकिन ...
मुझे भी वही पुराना वाला गीत अधिक मधुर लगता है.
ReplyDeleteनए संस्करण में कृत्रिमता अधिक है...
ReplyDeleteold is gold forever
ReplyDeleteमेरी पसंद भी आपसे और अल्पना जी से अलग नहीं है...
ReplyDeleteपुराना गीत बेहतर है..
ReplyDeleteपुराना गीत बेहतर है..
ReplyDeleteबेशक पुराना वाला.....
ReplyDeleteपुराना गीत बेहतर है..
ReplyDeleteनया वाला तो रीमिक्स ही लग रहा है ..
ReplyDeleteनया नौ दिन पुराना सौ दिन्।
ReplyDeleteवैसे तो मुझे पुराना ज्यादा अच्छा लगता है पर नया भी एक अलग स्वाद दे रहा है ... नए वाले में चमक-धमक ज्यादा है पर पुराना ज्यादा कलात्मक है ....
ReplyDeleteसमय के साथ रुचि बदलती है और अब शायद बहुमत नये के पक्ष में हो, पुराना अब भी आकर्षक है.
ReplyDeleteआप सभी की अनमोल राय के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteमुझे भी पुराना ही ज्यादा मधुर लगता है !
ReplyDelete