ये ठौर
मेरा है जनाब
आप आएं
न आएं
फर्क नहीं पड़ता।
-यशवन्त माथुर ©
19062020
मेरा है जनाब
आप आएं
न आएं
फर्क नहीं पड़ता।
-यशवन्त माथुर ©
19062020
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
सोचने वाली बात है, यदि फर्क न पड़ता होता तो इतना कहने की भी जरूरत क्या थी...
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