ढोल बज रहे थे
नारे लग रहे थे
गले में हार डाले नेता जी
चल रहे थे!
नेता जी चल रहे थे
समर्थक नाच रहे थे
विजयी मुद्रा में
सब लोग
गद गद हो रहे थे!
हम ने पूछा तो किसी ने बताया
न पार्टी बदली थी
और न मंत्री की
कुर्सी मिली थी
कल पहली बार
'वो' उनसे हारी थी
नेता जी ने मक्खी मारी थी!!
(जो मेरे मन ने कहा...)
क्या बात है..वैसे भी नेता जी विकास के कार्यों में कुछ नहीं करते लेकिन जहां उससे सम्बंधित धन होता है उसे अजगर की तरह निगल जाते हैं। अच्छा लिखा है। बधाई...
ReplyDeleteVeena ji,aap ka bahut-bahut shukriya.
ReplyDeleteacha likha hain
ReplyDeleteDhnyavaad bhamoo ji
ReplyDeletedhanyavaad shobhit ji
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