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07 September 2010

काशी के पंडितों का अद्भुत ज्ञान......?


क्या बात कही काशी के पंडित जी ने.कहते हैं ईश्वर कोई तत्व नहीं है.ये उस काशी के पंडितों का कहना है जो काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के लिए प्रसिद्द है.ये बात स्टीफन होकिंग के ब्रह्मांड की संरचना एवं जीवन की उत्पत्ति के नए सिद्दांत के सन्दर्भ में कही गयी है.एक तरफ जहाँ स्टीफन होकिंग ब्रह्मांड की उत्पत्ति को भौतिकी के सिद्दांतों पर आधारित बता रहे हैं वहीँ हमारी काशी के पंडितों का कहना है की भौतिकी के नियम -शब्द-गंध-रस-स्पर्श और रूप इन पांच पर आधारित हैं.अगर इनकी मानें तो शब्द का सम्बन्ध-कान से,स्पर्श का-त्वचा से,रूप का-दृष्टि से,रस का -जीभ से और गंध का सम्बन्ध-नाक से है.कोई बच्चा भी ये सम्बन्ध बता सकता है तो आप के ज्ञान का क्या मतलब?क्या आपने कभी इस पर गहन विचार किया है?

यदि हम क्रांति स्वर पर उपलब्ध आलेखों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि भगवान -प्रकृति के पञ्च तत्व और भौतिकी के इन पांच आधारभूत सिद्दांतों में परस्पर सम्बन्ध है.आइये देखें कैसे-


भ-भूमि-गंध

ग-गगन-शब्द

व्-वायु-स्पर्श

I-अग्नि-रूप

न-नीर-रस


व्यापक अर्थों में भूमि का सम्बन्ध- गंध से है.आप अनुभव कर सकते हैं गर्मी की तपती दोपहर या वर्षा जल के धरती पर पड़ने से उठती सोंधी महक को.गगन अथार्त आकाश का सम्बन्ध शब्द से है.हमारी वाणी में कम्पन का प्रभाव आकश तत्व से उत्पन्न होता है.वायु के माध्यम से हम स्पर्श का अनुभव करते हैं.अग्नि का सम्बन्ध रूप (निर्माण) से है.अग्नि तत्व ही किसी वास्तु कि संरचना निर्धारित करता है भोजन को भी अग्नि में ही पकाया जाता है.अग्नि तत्व विखंडन और नव निर्माण से सम्बंधित है.और नीर यानी जल का रस से सम्बन्ध आप जानते ही हैं।

अतः स्पष्ट होता है कि भगवान कोई मनुष्य या कोई दिव्य शक्ति नहीं हमारे हर तरफ मौजूद पंचतत्व ही हैं।

भगवान को हम देवता भी कहते हैं क्यों?क्यों कि जो देता है वो देवता है और ये पंचतत्व हमें देते ही हैं कुछ लेते नहीं हैं.इन पञ्च तवों के समन्वय से ही जीवन कि उत्पत्ति हुई है.और जीवन का अंत भी पंचतत्वों से ही होता है.अंग्रेजी भाषा में हम भगवन-GOD कहते हैं जिसका सीधा सा अभिप्राय Generator-Operator-Destroyer है.यानी ब्रह्मा,विष्णु और महेश.मुस्लिम धर्म ७८६ को अपना लकी नंबर कहते हैं क्यों कि ये अंक भी GOD से सम्बंधित हैं.(७८६ के सन्दर्भ में अपनी अगली किसी पोस्ट में अपने विचार रखूँगा)

ज्यादा कुछ न कहते हुए सारांश में सिर्फ इतना ही कहूँगा कि विज्ञान सार्वभौमिक है जिसके कुछ आधारभूत नियम हैं.ज़रुरत तो बस सही रूप में सृष्टि कि उत्पत्ति के विज्ञान को समझने की है।
(जो मेरे मन ने कहा...)

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