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30 September 2010
मैं नारी हूँ!
दुनिया वालों
ध्यान से सुनो!
चाहे जितने भी कांटे
तुम बिछालो मेरी राह में
चाहे जितने भी आंसू
तुम दे दो मुझ को
ये न समझना कि
मैं हार गयी हूँ
हाँ
कुछ पल को रूकती हूँ
ठिठकती हूँ
हंसती हूँ-
तुम्हारी सोच पर
कितने मूर्ख हो तुम
जो अब तक
मुझ को अबला समझते
आ रहे हो
वो बल
वो सामर्थ्य है मुझ में
असीमित दर्द सह कर भी
मैं
दुनिया को-
तुम को -
जन्म देती हूँ
और तुम
तुम मुझ को
मार देते हो
दुनिया में आने से पहले
शायद इसलिए
कि मैं नारी हूँ!
(जो मेरे मन ने कहा.....)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
29 September 2010
नहीं चाहता पुनर्जीवन
लगता है
सारे सपने कहीं खो गए हैं
जो देखे थे-
एक पल को लगा था
शायद सच होने वाले हैं
और मैं
आज़ाद होने वाला हूँ
एक रोशनी दिखी थी
पर ये नहीं मालूम था
कि एक बार फिर से
अँधेरे में खो जाऊंगा
और अब
अब तो कोई तमन्ना ही नहीं है
इस सन्नाटे से
इस अँधेरे से
बाहर आने की
लक्ष्य विहीन
एक अंतहीन सोच में डूबा हुआ
मैं
मैं-अब और नहीं चाहता पुनर्जीवन
मैं अपने खोए हुए सपनों
में कहीं खो जाना चाहता हूँ
फिर वापस न आने के लिए.
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
27 September 2010
पता नहीं
ये जीवन की राह
किस मोड़ पर ले जाए
पता नहीं
मैं आज जहाँ खड़ा हूँ
बड़ा अजीब मोड़ है
हर तरफ गड्ढे ही गड्ढे
क्यों कांटे बिछे हैं
पता नहीं
ये भावनाएं हैं
जो घुमड़ती हैं हर तरफ
चुभती हैं क्यों दिल में
पता नहीं
बड़ी अजीब होती है
ये जीवन की राह
कब खुशी कब गम
पता नहीं.
(जो मेरे मन ने कहा.....)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
मिले सुर मेरा तुम्हारा
भारत की विविध एकता और संस्कृति को दिखाते इस गीत को कभी बचपन में मैं दूरदर्शन पर देखा करता था.youtube पर सर्च करते करते अचानक यह वीडियो मिला तो सोचा कि क्यों न अपने ब्लॉग पर आप सब के साथ इसे साझा करूँ.
(जो मेरे मन ने कहा.....)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
26 September 2010
शायद नहीं!
दूर पृथ्वी से
क्या वाकई
इतना सुन्दर है
क्या चाँद का टुकड़ा
कह देने से
कोई इठला सकता है
अपनी सुन्दरता पर
या
ये एक भ्रमजाल है
छलावा है
ये कैसा आकर्षण?
क्या रूप ही
सब कुछ होता है..
क्या मीठा ही
अच्छा होता है..
शायद नहीं!
(जो मेरे मन ने कहा.....)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
24 September 2010
रिश्ते
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
22 September 2010
क्या यही बचपन है?
और वो
हाँ!ज्ञान का बोझा ढोते हैं
बस्ते में रखी किताबों तक
मगर क्या
ये छोटे छोटे
मगर जब रोते हैं
क्या यही बचपन है?
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
20 September 2010
मधुशाला...
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
18 September 2010
मजदूरनी
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
17 September 2010
ले चलो मधुशाला मुझ को
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
क्यों हो तुम दूर मुझ से...............
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
16 September 2010
चाय का प्याला
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
15 September 2010
In search of beauty & love.....
on the roads;
on the streets;
I walk
in the people's mind
but
still;
in searching of beauty;
in searching of love;
in searching of happiness;
in searching of smile;
Oh!my God
what a scene it is..
i saw;
a group of little children
sitting down
infront of their;
roadside hut
they seems
I hav some food for them
thay smile
&
I learn;
People get pain
to get love
to be loved
by the people
they love.
(Note:-I just try to writing in english;Readers are requested to point out the gramatical mistakes for correction.)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
14 September 2010
एक श्रद्धांजली....
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
13 September 2010
ये लेखनी है...
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
12 September 2010
लोग कहते हैं मैं...........
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
11 September 2010
भारत की महान न्याय प्रणाली ...
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
कविता मेरी दृष्टि में.....(मेरी ५१ वीं पोस्ट.)
भावों में ना बहें तो क्या होगा
ये मन की भावुकता है-
उतर आती है जो शब्दों में
ये शब्द अगर ना हों तो
कविता का क्या होगा.
मुझे नहीं पता
क्या मात्रा
क्या हलन्त
क्या पूर्ण विराम-
नहीं पता
मुझे नहीं पता
व्याकरण
और उसके बंधन
बस इतना पता है
कविता है-
मेरा अंतर्मन
कविता
जो बन जाती है कभी
सुर-सरगम
ढल जाती है
गीतों में
एक आवाज़ बन कर
देती है
अ-भावों को भी भाव
सहज सरल सरस
और सार्थक बनकर
मैं
उस कविता को गुनगुनाता हूँ
जो भावों में बह जाती हो
शब्दों के साज पर सज कर
कुछ कहती हो
कह जाती हो.
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
10 September 2010
हम तो चले थे ख्वाबों में........
ज़मीं पे ज़नाज़ों की बहुत भीड़ थी
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
मैं अकेला हूँ..
ऊषा पूर्व की बेला हूँ
क्षण भंगुर जिसका आस्तित्व
मैं अकेला हूँ!
मैं निर्जन वन के शांत स्वरों में
चातक की विरहा पुकार नहीं
विद्वेषी ज्वाला का गोला
मैं अकेला हूँ!
कर्म का मर्म मैं क्या जानूं
मैंने तो बस ये जाना है
शांत नीर पर तरंग का रेला
मैं अकेला हूँ!
बासंती बयार नहीं
मैं पतझड़ का समय चक्र हूँ
जिसका नव प्रवर्तन निश्चित
मैं अकेला हूँ!
मैं नहीं तेजोमय
तम की अंधियारी बेला हूँ
आशा की किरण निहारता
मैं अकेला हूँ!
(जो मेरे मन ने कहा....)
टिप्पणी -प्रस्तुत
पंक्तियाँ१३/१२/२००४ को लिखी गयी थी.
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
09 September 2010
समानता
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः।
नोट --प्रस्तुत आलेख अक्टूबर २००४(यह लेखक तब बी.कॉम अंतिम वर्ष का छात्र था) में आगरा से प्रकाशित एक त्रैमासिक पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है.
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
जय जय नेता जी की.....
ढोल बज रहे थे
नारे लग रहे थे
गले में हार डाले नेता जी
चल रहे थे!
नेता जी चल रहे थे
समर्थक नाच रहे थे
विजयी मुद्रा में
सब लोग
गद गद हो रहे थे!
हम ने पूछा तो किसी ने बताया
न पार्टी बदली थी
और न मंत्री की
कुर्सी मिली थी
कल पहली बार
'वो' उनसे हारी थी
नेता जी ने मक्खी मारी थी!!
(जो मेरे मन ने कहा...)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
08 September 2010
क्या ये भी कोई बात है..?
आज का ये दिन
दोपहर फिर शाम
सुनहरी रात है
फिर वही सुनहरे सतरंगी सपने
क्या ये कोई नयी बात है?
हाँ नयी बात है मेरे लिए
रोज़ सुबह सूरज का उगना
देना रौशनी
और फिर लौट जाना
जगमगाने उन्हें
जहाँ अब तलक रात है।
ये बहुत अजीब सी बात है
मेरे लिए
निरन्तर चलना
घुमते रहना
अपने पथ पर
बिना थके
हर पल।
पल पल पल हर पल
अगर कभी रुक जाए समय
भूल जाए सूर्य
चलना अपनी राह
तो क्या होगा?
क्या ये भी कोई बात है-
हाँ मेरे लिए ये भी एक बात है
क्योंकि तुम्हारा जीवन दिन
और
मेरी हर सांस में रात है॥
(जो मेरे मन ने कहा........)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
07 September 2010
काशी के पंडितों का अद्भुत ज्ञान......?

बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
देहदान
''अनर्थ है कि बंधू ही न बंधू की व्यथा हरे।
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥''
उक्त पंक्तियाँ हमारे जीवन में प्रतिदिन सार्थक हैं.हम पुण्य कमाने का,परोपकार करने का हर संभव प्रयास करते हैं.क्यों कि हम मनन अथार्त सोच समझ कर कोई भी कार्य कर सकते हैं इसलिए हम मनुष्य कहलाते हैं अन्यथा मनुष्य और पशुओं में किसी प्रकार का कोई अंतर नहीं है.मनुष्य भी भी पशुओं के सामान भोगी है अगर उसमे कुछ सोचने की सामर्थ्य न हो।
दान पुन्य कमाने का सबसे आसान और असरकारक माध्यम है.बड़े बड़े धन्ना सेठ जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अपने कर्मचारियों का शोषण करते हैं किन्तु आयकर छूट हासिल करने के लिए वे कई तरह की गैर सरकारी संस्थाएं बना कर उन के माध्यम से समाज सेवा और परोपकार का राग आलापते हैं.शोषण से कमाया गया पैसा शोषित को ही दान दे दिया जाता है और साहब का बैठे बैठे नाम भी हो जाता है कि सेठ जी तो बड़े दयालु हैं और न जाने क्या क्या।
दान सिर्फ पैसे से ही नहीं होता बल्कि हमारे शास्त्रों में तन मन धन से दान देने को कहा गया है.लेकिन शास्त्रों की बातें तो आज बस स्कूली शिक्षा तक तक सिमट कर रह गयीं हैं.खैर इन सब कि गहराई में मैं नहीं जाना चाहता.
इधर कुछ समय से दान का एक नया रूप चलन में आया है.एक ऐसा दान जिसमे इस बात का कोई भेद नहीं है कि दानी अमीर है या गरीब.और न ही दान करते समय हमारे अंतर्मन को कोई कष्ट होता है.देहदान जी हाँ अपने मृत शरीर का दान कीजिए और पुन्य कमाइए.आज जबकि अंतिम संस्कार भी खर्चीला काम हो गया है,विद्युत् शवदाह में भी असंख्य यूनिट बिजली खर्च होती है तो क्यों न प्रदूषण मुक्त दान करें और क्यों न सहभागी बनें जन कल्याण के लिए अपने मृत शरीर पर होने वाले चिकित्सकीय प्रयोगों में.कितना अच्छा होगा यदि आपके दिवंगत होने के बाद भी आप का शरीर नए आविष्कारों और क्रांतियों के काम आये.क्या इससे अच्छा कोई दान हो सकता है?
एक डॉक्ट
र अपने १० दिन के शिशु को पुन्य का भागी बना सकता है.(देखिये फोटो) यह उत्साहित करने वाली बात है.मान लीजिये कि आप किसी असाध्य रोग से जूझ रहे हैं तो क्या आप नहीं चाहेंगे कि इस रोग का कोई निदान उपलब्ध हो?
मैं जानता हूँ कि परम्परावादी लोगों को मेरा यह आलेख पसंद नहीं आयेगा.किन्तु परिस्थिति के अनुसार परम्परा को बदल देने में कोई हर्ज़ नहीं है।
व्यक्तिगत तौर पर मैंने देहदान का संकल्प कर लिया है.आप क्या सोचते है??
(जो मेरे मन ने कहा....)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
06 September 2010
उस 'अनजान' के नाम....(जिसे शायद मैं कभी जानता था)
तुझे याद कर-कर हम भी,रात-रात भर रोते हैं,
बिन तेरे चैन कहाँ,बिन तेरे रैन कहाँ,
जाएँ तो जाएँ कहाँ,हर जगह तेरा निशाँ,
तेरे लब जब थिरकते हैं,बहुत हम भी मचलते हैं,
चाहते हैं कुछ कहना,मगर कहने से डरते हैं॥
कितने हैं शायर यहाँ,कितने हैं गायक यहाँ,
मेरा है वजूद वहां,जाए तू जाए जहाँ,
कैसी ये प्रीत मेरी,कैसी ये रीत तेरी,
अर्ज़ है क़ुबूल कर ले,आज मोहब्बत मेरी,
तेरे अनमोल ये मोती,जाने क्यों क्यूँ यूँ बिखरते हैं,
अधरों से पीले इनको ,वफ़ा के गीत कहते हैं॥
(जो मेरे मन ने कहा...)
बहुत ही साधारण लिखने वाला एक बहुत ही साधारण इंसान जिसने 7 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। वाणिज्य में स्नातक। अच्छा संगीत सुनने का शौकीन। ब्लॉगिंग में वर्ष 2010 से सक्रिय। एक अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन में बतौर हिन्दी प्रूफ रीडर 3 वर्ष का कार्य अनुभव।
