इस दुनिया में कभी कभी
कुछ उल्टा पुल्टा होता है
कोई जागता सारी रात भर
कोई दिन भर सोता है
किसी किसी की जेब से पैसा
बाहर निकल बिखरता है
किसी किसी के हाथ से पैसा
कोई तीसरा छीन लेता है
एक तरफ कंगाली
इंसान आदम खोर हो जाता है
एक तरफ कोई खाते खाते
यूं ही बोर हो जाता है
किस्मत को कोई दोष न देना
सब फेर समझ का होता है
खुश रहता फुटपाथों पर
कोई महलों में भी रोता है
इस दुनिया में कभी कभी
कुछ उल्टा पुल्टा होता है
गूंगा यूं तो 'यशवन्त माथुर'
अपने ब्लॉग पर बोलता है।
~यशवन्त माथुर©
~
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Date of capture: 20/05/2021, Lucknow (UP) Camera: Canon Sx740hs TO BE USE WITH PHOTO CREDIT . COPYRIGHT-YASHWANT MATHUR©
ये भी सही है...बढ़िया पंक्तियाँ
ReplyDeleteआज के दौर में सब कुछ तो उल्टा-पुल्टा हो ही रहा है,अमीर ज्याद अमीर होते जा रहें है गरीब ज्याद ही गरीब,बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
ReplyDeleteयूँ ही खरा-खरा बोलते रहिये......
ReplyDeleteकभी कभी होता तो चल भी जाता यहाँ तो हर पल ही कुछ न कुछ उल्टा-पुल्टा होता है..यशवंत जी..
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना सही कहा आपने
ReplyDeleteये सब कभी कभी नहीं अक्सर होता है ...बढ़िया रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति -
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
वाह वाह.. मज़ा आ गया..
ReplyDeleteगहरी बात, सरल संवाद!
सही कहा..सुन्दर प्रस्तुति -
ReplyDeleteआपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 10/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteBahut badhiya Yashwant Bhai. Yun hi bolte rahiye.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और मौजू रचना.. बधाई ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर और मौजू रचना.. बधाई ..
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