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25 March 2011

बोलता रहूँगा

जब जब
जो भी मन में आएगा
कहता रहूँगा
कोई तो सुनने आएगा
बोलता रहूँगा

बोलता रहूँगा
जब तक सुनना चाहेंगे लोग
बोलता रहूँगा
जब तक मुझे चाहेंगे लोग

ये शब्दों की उड़ानें हैं
मन के तराने हैं
दिल के अल्फाजों को
जुबां देता रहूँगा

बोलता रहूँगा !

14 comments:

  1. दिल के अल्फाजों को
    जुबां देता रहूँगा
    यह हुई ना बात , शुभकामनायें

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  2. ये शब्दों की उड़ानें हैं
    मन के तराने हैं
    दिल के अल्फाजों को
    जुबां देता रहूँगा... bhut hi acchi lines hai...

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  3. दिल के अल्फाजों को
    जुबां देता रहूँगा

    अर्थपूर्ण....सकारात्मक ...

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  4. जो भी मन में आएगा
    कहता रहूँगा
    कोई तो सुनने आएगा
    बोलता रहूँगा.....

    भावपूर्ण सुन्दर कविता...

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  5. ये शब्दों की उड़ानें हैं
    मन के तराने हैं
    दिल के अल्फाजों को
    जुबां देता रहूँगा... aur hum sunte rahenge

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  6. ये शब्दों की उड़ानें हैं
    मन के तराने हैं
    दिल के अल्फाजों को
    जुबां देता रहूँगा
    bahut achcha laga.

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  7. बहुत सार्थक प्रस्तुति.

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  8. बहुत मनभावन है आपकी रचना … पढ़ कर आनन्द आ गया ।

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  9. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  10. वाह ...बहुत ही अच्‍छा लिखा है ।

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  11. ये शब्दों की उड़ानें हैं
    मन के तराने हैं
    दिल के अल्फाजों को
    जुबां देता रहूँगा

    आपका ब्लॉग बहुत संगीतमय है...
    REALLY.... HOW SWEET...

    और कविता मनभावन.....
    बधाई स्वीकारें !

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  12. आप चिंता न करें... हम लोग हैं न सुनने के लिए...
    आप तो बस बोलते रहें...

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  13. खूब बोलो यार ,तुम्हारी आवाज़ बुलन्द हो यही कामना है....

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  14. आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया.

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