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31 March 2011

विचारों का समुद्र कुछ शांत सा है .....

विचारों का समुद्र
कुछ शांत सा है
अपनी  ही धुन में
लहरें आ रही हैं
जा रही हैं
सुन  रहा हूँ
उठने गिरने की
चलने फिरने की
कुछ आवाजें
मगर शोर नहीं
है  अजीब सी शान्ति
मुझे जिसकी आदत नहीं
पता नहीं
ये राहत है
या संकेत
किसी ज्वार भाटे के
आने का !

16 comments:

  1. ये राहत है
    या संकेत
    किसी ज्वार भाटे के
    आने का !
    बहुत व्यथित मन का आपने बहुत सुन्दर varnan किया है .

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  2. शांत विचार में .....अछे भाव आने की कामना है

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  3. वाह...बेहतरीन कविता...तूफ़ान से पहले की शांति पर शंशय...

    नीरज

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  4. ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना

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  5. har khamoshi khub me bhut kuch chupaye hoti hai...khamoshi aur vicharo ka bhut hi sunder varan kiya hai apne....

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  6. बेहतरीन...मन को छू जाते अहसास...

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  7. आपकी रचनाएँ सहज होते हुए भी सुन्दर होते हैं ... बहुत खूब !

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  8. सुन रहा हूँ
    उठने गिरने की
    चलने फिरने की
    कुछ आवाजें
    मगर शोर नहीं
    है अजीब सी शान्ति
    मुझे जिसकी आदत नहीं......


    संवेदना से भरी मार्मिक रचना....
    हार्दिक बधाई...

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  9. ये सब सामान्‍य लक्षण है, हकीकतन रोग वही है।

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  10. आपकी रचनाएँ सहज होते हुए भी सुन्दर होते हैं|धन्यवाद|

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  11. बहुत खूब
    नये बिंब से सजी रचना
    बहुत बहुत शुभकामनाये

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  12. ये राहत है
    या संकेत
    किसी ज्वार भाटे के
    आने का !
    बहुत खूब.....

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  13. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  14. तूफ़ान से पहले की शांति भी डराती है…………बेहद उम्दा ।

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